जानें इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर के बारे में

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नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है। इस भव्य मंदिर का निर्माण ईसा पूर्व तीसरी सदी में सोमदेव राजवंश के ‘पशुप्रेक्ष’ नामक राजा ने करवाया था। इस मंदिर के निर्माण से जुड़े कुछ ऐतिहासिक मत भी हैं और इस पर यकीन करें तो मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में किया गया था। निर्माण की प्रामाणिकता न होने की एक वजह यह भी है कि मूल पशुपतिनाथ मंदिर कई बार नष्ट हुआ है, जिसका कई बार पुनर्निर्माण किया गया। भगवान भोलेनाथ के धाम पशुपतिनाथ में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है, लेकिन वे इसे बाहर से देख सकते हैं। मंदिर के गर्भगृह में पंचमुखी शिवलिंग है। कहते हैं कि ऐसा विग्रह दुनिया में कहीं और नहीं है। हिंदू पुराणों के अनुसार पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। भगवान शिव ने यहां पहुंचकर एक चिंकारे का रूप धारण किया और गहरी नींद में सो गए। जब भगवान शिव वाराणसी में नहीं मिले, तब देवताओं ने उन्हें बागमती के किनारे इस स्थान पर पाया। देवता उन्हें वापस वाराणसी ले जाने का प्रयास करने लगे, इसी दौरान चिंकारे के रूप में भगवान शिव ने बागमती नदी के दूसरे किनारे की ओर छलांग लगा दी। छलांग लगाने के दौरान ही उनका सींग चार टुकडों में टूट गया था। कहते हैं कि तभी से भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में प्रकट हुए। करीब चार हजार साल पुरानी महाभारत की कथा के अनुसार, जब पांडव स्वर्गप्रयाण के लिए हिमालय की ओर जा रहे थे, उस समय उत्तराखंड के केदारनाथ में भगवान शिव ने भैंसे के रूप में पांडवों को दर्शन दिया। दर्शन देने के बाद भैंसे के रूप में शिव वहीं जमीन में समाने लगे। यह देख भीम ने उनकी पूछ पकड़ ली। यह जगह केदारनाथ के नाम से विख्यात हुई, जबकि नेपाल में धरती से बाहर जहां उनका सिर प्रकट हुआ, वह पशुपतिनाथ के रूप में प्रसिद्ध हुआ ।

 

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